हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,शरई अहकाम:
सवाल: नमाज़ का कज़ा होना : कुछ लोग यही सोचते हैं कि अगर आखिरी वक्त में नमाज़ पढ़ी है तो उनकी आधी नमाज़ सही है और बाकी कज़ा हैं।
जवाब: जबकि ऐसा बिलकुल दुरुस्त नहीं है,यहां तक कि अगर कोई आदमी एक रकअत नमाज़ वक्त के अंदर पढ़ ले तो भी ऐसे आदमी की नमाज़ सही है और नमाज़ कज़ा नहीं हैं।
हालाँकि, यह भी जायज़ नहीं है की नमाज़ को जानबूझकर और बगैर किसी दलील के देर से पढ़े।
उर्वतुल उसका,भाग 1,पेज 523
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