۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
खुज़िस्तान

हौज़ा / इस्लामी सरकार और इस्लामी गणराज्य ‎की बुनियाद न्याय और बराबरी पर है। मेरे ख़्याल में आप जो भी क़ानून पास करते हैं, ‎सरकार जो भी बिल मंज़ूर करती है उसकी बुनियाद न्याय व इंसाफ होना चाहिए, इस ‎बात का ख़्याल रखिए कि इस हुक्म से इंसाफ़ को चोट न पहुंचे और पीड़ित तबक़े का ‎दमन न हो। अमरीका की ‎विदेश नीति की व्याख्या करते हुए अफ़ग़ानिस्तान के मामले की तरफ़ इशारा किया ‎और कहा कि अमरीका की विदेश नीति के पर्दे के पीछे एक ख़ूंख़ार भेड़िया है जो कभी ‎कभी मक्कार लोमड़ी की शक्ल बना लेता है, जिसका नमूना अफ़ग़ानिस्तान के आज के ‎हालात हैं। ‎

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने राष्ट्रपति के ख़ूज़िस्तान के दौरे की ‎सराहना करते हुए इसे सरकार के जनता के हमदर्द होने की एक झलक क़रार दिया ‎और कहा:  सरकार के जनता की हमदर्द होने की एक झलक लोगों के बीच जाना और ‎डायरेक्ट उनकी बातें सुनना है। यह जनाब रईसी की तरफ़ से सराहनीय क़दम है, वह ‎कल ख़ूज़िस्तान में जनता के बीच गए, उनकी बातें सुनी और उनसे बातें कीं।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने न्याय और बराबरी के विषय पर कहा कि ‎इस मामले में हम पीछे हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी सरकार और इस्लामी गणराज्य ‎की बुनियाद न्याय और बराबरी पर है। मेरे ख़्याल में आप जो भी क़ानून पास करते हैं, ‎सरकार जो भी बिल मंज़ूर करती है उसकी बुनियाद न्याय व इंसाफ होना चाहिए, इस ‎बात का ख़्याल रखिए कि इस हुक्म से इंसाफ़ को चोट न पहुंचे और पीड़ित तबक़े का ‎दमन न हो।

इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच के अगले भाग में विदेश नीति की ‎अहमियत की तरफ़ इशारा करते हुए अफ़ग़ानिस्तान सहित दुनिया के ताज़ा हालात की ‎समीक्षा की। उन्होंने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि कूटनीति ख़ास तौर पर आर्थिक ‎कूटनीति को दोगुना ऐक्टिव होना चाहिए, कहाः विदेशी व्यापार पड़ोसी देशों और दूसरे ‎देशों के साथ भी बढ़ना चाहिए। एक दो देशों को छोड़ ज़्यादातर देशों के साथ अच्छे ‎संबंध की संभावना पायी जाती है। ‎

उन्होंने कूटनीति के दोगुना ऐक्टिव होने पर ज़ोर देते हुए परमाणु मामले के नज़रअंदाज़ ‎न होने पर भी ताकीद की। उन्होंने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि परमाणु मामले में ‎अमरीकियों ने ढिठाई की सभी हदें पार कर दीं, कहा कि वे परमाणु समझौते से निकल ‎चुके हैं, लेकिन वे इस तरह की बातें करते हैं जैसे ईरान इस समझौते से निकला हो। ‎वही थे जिन्होंने वार्ता का मज़ाक़ उड़ाया था। यूरोप वाले भी अमरीकियों की तरह हैं। ‎

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस बात की तरफ़ इशारा करते हुए कि ‎अमरीका की मौजूदा सरकार और पिछली सरकार में कोई फ़र्क़ नहीं है, कहा कि नई ‎अमरीकी सरकार की भी वही मांगें हैं जो ट्रम्प सरकार की थीं। उन्होंने अमरीका की ‎विदेश नीति की व्याख्या करते हुए अफ़ग़ानिस्तान के मामले की तरफ़ इशारा किया ‎और कहा कि अमरीका की विदेश नीति के पर्दे के पीछे एक ख़ूंख़ार भेड़िया है जो कभी ‎कभी मक्कार लोमड़ी की शक्ल बना लेता है, जिसका नमूना अफ़ग़ानिस्तान के आज के ‎हालात हैं। ‎

उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात की व्याख्या में कहाः “अफ़ग़ानिस्तान हमारा ‎बंधु देश है, हम दोनों की एक ज़बान है, हमारा धर्म और हमारी संस्कृति एक है। ‎अफ़ग़ानिस्तान की सभी मुश्किलों की जड़ अमरीका है। उसने बीस साल तक क़ब्ज़े के ‎दौरान अनेक तरह के ज़ुल्म किए। शादी के जश्न और शोकसभा पर बमबारी और ‎इंसानों को क़ैद करने से लेकर मादक पदार्थों की पैदावार में दसियों गुना इज़ाफ़े तक, ‎अमरीकियों ने अफ़ग़ानिस्तान को बेहतर बनाने के लिए एक भी क़दम नहीं उठाया।”‎

सुप्रीम लीडर ने अफ़ग़ानिस्तान के संबंध में इस्लामी गणराज्य की नीति की व्याख्या ‎करते हुए कहाः “हम अफ़ग़ान राष्ट्र के साथ हैं। सरकारें आती हैं, चली जाती हैं, ‎अफ़ग़ान राष्ट्र बाक़ी रहने वाला है। सरकारों से हमारे संबंध, हमारे साथ उनके रवैए पर ‎निर्भर हैं। अल्लाह ने चाहा तो अफ़ग़ान राष्ट्र के हालात को बेहतरीन हालात में बदल ‎देगा।”‎

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