हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने राष्ट्रपति के ख़ूज़िस्तान के दौरे की सराहना करते हुए इसे सरकार के जनता के हमदर्द होने की एक झलक क़रार दिया और कहा: सरकार के जनता की हमदर्द होने की एक झलक लोगों के बीच जाना और डायरेक्ट उनकी बातें सुनना है। यह जनाब रईसी की तरफ़ से सराहनीय क़दम है, वह कल ख़ूज़िस्तान में जनता के बीच गए, उनकी बातें सुनी और उनसे बातें कीं।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने न्याय और बराबरी के विषय पर कहा कि इस मामले में हम पीछे हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी सरकार और इस्लामी गणराज्य की बुनियाद न्याय और बराबरी पर है। मेरे ख़्याल में आप जो भी क़ानून पास करते हैं, सरकार जो भी बिल मंज़ूर करती है उसकी बुनियाद न्याय व इंसाफ होना चाहिए, इस बात का ख़्याल रखिए कि इस हुक्म से इंसाफ़ को चोट न पहुंचे और पीड़ित तबक़े का दमन न हो।
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच के अगले भाग में विदेश नीति की अहमियत की तरफ़ इशारा करते हुए अफ़ग़ानिस्तान सहित दुनिया के ताज़ा हालात की समीक्षा की। उन्होंने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि कूटनीति ख़ास तौर पर आर्थिक कूटनीति को दोगुना ऐक्टिव होना चाहिए, कहाः विदेशी व्यापार पड़ोसी देशों और दूसरे देशों के साथ भी बढ़ना चाहिए। एक दो देशों को छोड़ ज़्यादातर देशों के साथ अच्छे संबंध की संभावना पायी जाती है।
उन्होंने कूटनीति के दोगुना ऐक्टिव होने पर ज़ोर देते हुए परमाणु मामले के नज़रअंदाज़ न होने पर भी ताकीद की। उन्होंने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि परमाणु मामले में अमरीकियों ने ढिठाई की सभी हदें पार कर दीं, कहा कि वे परमाणु समझौते से निकल चुके हैं, लेकिन वे इस तरह की बातें करते हैं जैसे ईरान इस समझौते से निकला हो। वही थे जिन्होंने वार्ता का मज़ाक़ उड़ाया था। यूरोप वाले भी अमरीकियों की तरह हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस बात की तरफ़ इशारा करते हुए कि अमरीका की मौजूदा सरकार और पिछली सरकार में कोई फ़र्क़ नहीं है, कहा कि नई अमरीकी सरकार की भी वही मांगें हैं जो ट्रम्प सरकार की थीं। उन्होंने अमरीका की विदेश नीति की व्याख्या करते हुए अफ़ग़ानिस्तान के मामले की तरफ़ इशारा किया और कहा कि अमरीका की विदेश नीति के पर्दे के पीछे एक ख़ूंख़ार भेड़िया है जो कभी कभी मक्कार लोमड़ी की शक्ल बना लेता है, जिसका नमूना अफ़ग़ानिस्तान के आज के हालात हैं।
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात की व्याख्या में कहाः “अफ़ग़ानिस्तान हमारा बंधु देश है, हम दोनों की एक ज़बान है, हमारा धर्म और हमारी संस्कृति एक है। अफ़ग़ानिस्तान की सभी मुश्किलों की जड़ अमरीका है। उसने बीस साल तक क़ब्ज़े के दौरान अनेक तरह के ज़ुल्म किए। शादी के जश्न और शोकसभा पर बमबारी और इंसानों को क़ैद करने से लेकर मादक पदार्थों की पैदावार में दसियों गुना इज़ाफ़े तक, अमरीकियों ने अफ़ग़ानिस्तान को बेहतर बनाने के लिए एक भी क़दम नहीं उठाया।”
सुप्रीम लीडर ने अफ़ग़ानिस्तान के संबंध में इस्लामी गणराज्य की नीति की व्याख्या करते हुए कहाः “हम अफ़ग़ान राष्ट्र के साथ हैं। सरकारें आती हैं, चली जाती हैं, अफ़ग़ान राष्ट्र बाक़ी रहने वाला है। सरकारों से हमारे संबंध, हमारे साथ उनके रवैए पर निर्भर हैं। अल्लाह ने चाहा तो अफ़ग़ान राष्ट्र के हालात को बेहतरीन हालात में बदल देगा।”