हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
إذا أصبَحتَ صائما فَلْيَصُمْ سَمعُكَ و بَصَرُكَ مِنَ الحَرامِ، و جارِحَتُكَ و جِميعُ أعضائكَ مِنَ القَبِيحِ، و دَعْ عَنكَ الهَذْيَ و أذَى الخادِمِ، و لْيَكُنْ علَيكَ وَقارُ الصِّيامِ، وَ الزَمْ ما استَطَعتَ مِن الصَّمتِ و السُّـكوتِ إلاّ عن ذِكرِ اللّه ِ ، و لا تَجعَلْ يَومَ صَومِكَ كَيَومِ فِطرِكَ، و إيّاكَ و المُباشَرَةَ، و القُبَلَ و القَهقَهَةَ بِالضِحكِ؛ فإنّ اللّه َ مَقَتَ ذلكَـكوتِ إلاّ عن ذِكرِ اللّه ِ ، و لا تَجعَلْ يَومَ صَومِكَ كَيَومِ فِطرِكَ، و إيّاكَ و المُباشَرَةَ، و القُبَلَ و القَهقَهَةَ بِالضِحكِ؛ فإنّ اللّه َ مَقَتَ ذلكَ
हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
जब भी रोज़ा रखो तो तुम्हारे कान और आंखों का भी हराम से बचने का रोज़ा होना चाहिए, और अपने तमाम अंग को बुरे कामों और बड़बोलेपन और अपने सेवकों को परेशान करने से बचाए रखें ,रोज़े की मर्यादा की रक्षा करना आपके लिए आवश्यक है, जहाँ तक हो सके, खामोशी अख्तियार करो मगर अल्लाह के ज़िक्र के वक्त तुम्हारे रोज़ा रखने और ना रखने का दिन एक जैसा नहीं होना चाहिए,अपनी बीवी के साथ संभोग और ज़ोर-ज़ोर से हँसने से दूर रहें क्योंकि अल्लाह तआला को यह चीज़ें पसंद नहीं हैं।
बिहारूल अनवार,96/292/16