हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा ए इल्मिया नजफ अशरफ के प्रसिद्द शिया धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से पूछे गए एतेकाफ़ के बारे में सवाल का जवाब दिया हैं जो लोग शरई अहकाम मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पुछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ बयान कर रहे हैं।
अगर कोई शख़्स एतेकाफ़ के दौरान कोई मामला करे अगरचे एतेकाफ़ बातिल हो जाता है लेकिन मामला बातिल नहीं होता,
अगर कोई शख़्स माहे रमज़ानुल मुबारक में एतेकाफ़ करे और फिर उसे जेमा (सेक्स) के ज़रिए दिन में फ़ासिद ( ख़राब ) करदे तो उस पर दो कफ़्फ़ारे (यानी एक माहे रमज़ानुल मुबारक के रोज़े का दूसरा एतेकाफ़ का ) वाजिब हैं इसी तरह अगर कोई शख़्स माहे रमज़ान की क़ज़ा के दौरान एतेकाफ़ करे और ज़वाल के बाद उसे फ़ासिद ( खराब) करदे तो अगर वो एतेकाफ़ नज़र की वजह से वाजिब हो तो नज़र की मुख़ालिफ़त की बिना पर उस पर तीन कफ़्फ़ारे वाजिब हो जाते हैं।

हौज़ा/अगर कोई शख़्स एतेकाफ़ के दौरान कोई मामला करे अगरचे एतेकाफ़ बातिल हो जाता है लेकिन मामला बातिल नहीं होता,
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ह़ज़रत आयतुल्लाह अल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी:
शक के दिन का रोज़ा
हौज़ा/जिस दिन के बारे में किसी शख़्स को शक हो कि यह शाबान की आख़िरी तारीख़ है या माहे रमज़ान की पहली तारीख़ है तो उस दिन क्या करें?
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आयतुल्लाहिल उज़्मा अलहाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी:
एतेकाफ़ के बारे में अहकाम शरई:
हौज़ा/अगर कोई शख़्स एतेकाफ़ के दौरान कोई मामला करे अगरचे एतेकाफ़ बातिल हो जाता है लेकिन मामला बातिल नहीं होता हैैं।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी:
एतेकाफ़ के दौरान कोई मामला करना?
हौज़ा/अगर कोई शख़्स एतेकाफ़ के दौरान कोई मामला करे अगरचे एतेकाफ़ बातिल हो जाता है लेकिन मामला बातिल नहीं होता,
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माहे रमज़ानुल मुबारक की तैयारी शाबान से करें
हौज़ा/ रमज़ान का महीना अपनी विशेषताओं की वजह से ख़ास अहमियत रखता है, जिसमें इंसान की ज़िंदगी और आख़ेरत दोनों को संवारा जाता है, इसलिए अगर कोई इस मुबारक…
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शरई अहकाम:
क्या नज़्र को पूरा करना वाजिब हैं?
हौज़ा / अगर कोई आदमी नज़्र माने लेकिन उस नज़्र की मशक्कत (कठिनाई)का इल्म ना रखता हो और नज़्र मानने के बाद उसे इस काम की मशक्कत का एहसास हो तो क्या उसे…
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माहे रमज़ान उल मुबारक में दांतो को भरवाना या निकलवाना डॉक्टर या रोज़ेदार के लिए क्या हुक्म हैं?
हौज़ा/ रोज़ेदार के लिए इस शर्त की बिना पर कोई मुश्किल नहीं है कि रोज़ेदार को इत्मीनान हो कि खून या पानी या ऐसा कोई पदार्थ जिसके माध्यम से दांतो को भरा…
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शरई अहकाम:
मासिक धर्म वाली औरत का रोज़ा
हौज़ा/ अगर इसके पास गुस्ल करने का वक्त हो तो ज़रूरी है कि आज़ान से पहले गुस्ल करें और अगर वक्त तंग (कम )हो तो ज़रूरी है कि तयम्मुम करें और उसका रोज़ा…
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शरई अहकाम:
किसी चीज़ को अपने हाथ में आने से पहले बेचने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा/अगर मामला नक़्द का था और उस मामले में पहले से कोई शर्त नहीं थी तो कोई हरज नहीं हैं, लेकिन अगर मामला ऐसा हो जिसमें चीज़ की क़ीमत पहले अदा की जाए और…
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शरई अहकाम:
घर में बिल्ली पालना कैसा है?
हौज़ा/कोई हज नहीं है लेकिन अगर नमाज़ पढ़ने वाले के बदन या लिबास पर इसका बाल लगा हो तो बिना बार एहतियात ए वाजिब नमाज़ बातिल हैं लेकिन अगर एक दो बाल हो तो…
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शरई अहकम:
इलेक्ट्रिकल साज़ व सामान को पाक करना
हौज़ा/सिर्फ पानी से पाक हो सकता है नमाज़ बातिल नहीं है मगर यह की नमाज पढ़ने वाले को नमाज खत्म होने से पहले मालूम हो जाए की मोबाइल फोन की निजासत के साथ…
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शरई अहकम:
नमाज़ को बातिल करने वाले शक कि सूरत में नमाज़ी की ज़िम्मेदारी
हौज़ा / ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने नमाज़ को बातिल करने वाले शक कि सूरत में नमाज़ी की ज़िम्मेदारी…
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शरई अहकाम:
माहे रमज़ान उल मुबारक में अगर कोई गुस्ले जनाबत करना भूल जाए तो क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / माहे रमज़ान उल मुबारक में अगर कोई गुस्ले जनाबत करना भूल जाए और जनाबत की हालत में एक या कई दिन रोज़े रखता रहे तो माहे रमज़ान के बाद इन रोज़ो की…
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शरई अहकामः
पत्नी और बच्चों से झूठ बोलने का क्या हुक्म है?
हौज़ा / पत्नी और बच्चों से झूठ बोलने से संबंधित पूछे गए सवाल का मराज ए तकलीद ने जवाब दिया है है।
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नमाज़ और रोज़े के बीच अंतर
हौज़ा / नमाज़ को छोड़ने के लिए कफ़्फ़ारा ज़रूरी नहीं है, लेकिन रमज़ान के महीने के रोज़ों और दूसरे वाजिब रोज़ों को छोड़ने के लिए कफ़्फ़ारा ज़रूरी है।
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शरई अहकम:
किसी की नियाबत में नमाज़ पढ़ना और रोज़ा रखना
हौज़ा/नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं हैं, लेकिन अगर वह रोज़े में अजीर हो तो कोई हरज नहीं, लेकिन अगर वह उज्रत के बिना किसी मुआवज़े के (मुफ्त में) अदा करे…
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शरई अहकाम । नमाज़ की हालत में दूसरों को कुछ समझाना
हौज़ा / ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने नमाज़ की हालत मे दूसरो को कुछ समझाने के संबंध मे पूछे गए सवाल…
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शरई अहकाम:
कुछ लोग हाथ देखकर या किसी और चीज़ के माध्यम से इंसान के भविष्य के बारे में बताते हैं क्या यह जायज़ हैं?
हौज़ा/ ऐसी भविष्यवाणी कोई ऐतबार नहीं रखती और ऐसे भी यकीन के साथ कोई बात नहीं करनी चाहिए और दूसरे भी जब तक कोई शरई व अकली हुज्जत ना हो इन चीजों को अहमियत…
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शरई अहकामः
क्या नमाज़ के दौरान किसी आदमी की जेब में सोने की अंगूठी या हार उसकी नमाज़ को बातिल कर देता है?
हौज़ा | अगर जेब में अंगूठी या हार हो तो नमाज़ बातिल नहीं होती, लेकिन अगर हार या अंगूठी पहनी हुई हो, भले ही दिखाई न देती हो, तो नमाज़ बातिल हो जाती है।
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शरई अहकाम:
अगर कोई औरत आज़ान ए सुबह के बाद (माहवारी)हैज़ या नेफास से पाक होती है तो क्या उसे दिन वह रोज़ा रख सकती है?
हौज़ा / अगर कोई औरत सुबह की आज़ान के बाद (माहवारी) हैज़ या नेफास के ख़ून से पाक हो जाय या दिन में इसे हैज़ या नेफास का ख़ून आ जाए तो भले ही यह खून मग़रिब…
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शरई अहकामः
अज्ञानी व्यक्ति का मार्गदर्शन
हौज़ा / इस्लामिक क्रांति के नेता ने अज्ञानियों के मार्गदर्शन से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकाम । लकी पैकेट खरीदना
हौज़ा/ ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने पैकेट में रखी गई चीज़ों को खरीदने से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब…
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शरई अहकाम:
दूसरों पर इल्ज़ाम लगाने का हुक्म?
हौज़ा/इल्ज़ाम ,गुनाहों कबीरा(महापाप) में से है जिससे तौबा करना ज़रूरी है और जिस किसी से भी अपनी बात कही है, उसके बेबुनियाद होने का इक़रार करे और जिस पर…
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शरई अहकामः
चांस का खेल खेलना
हौज़ा / कुछ लोग पार्कों या ऐसी जगहों पर जाते हैं जहाँ चांस का खेल खेला जाता है। उदाहरण के लिए, एक सिक्का को एक बॉक्स या एक पिंजरे की तरह बॉक्स में घुमाया…
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