हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूरा ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قَالَ إِنَّهُ يَقُولُ إِنَّهَا بَقَرَةٌ لَّا ذَلُولٌ تُثِيرُ الْأَرْضَ وَلَا تَسْقِي الْحَرْثَ مُسَلَّمَةٌ لَّا شِيَةَ فِيهَا ۚ قَالُوا الْآنَ جِئْتَ بِالْحَقِّ ۚ فَذَبَحُوهَا وَمَا كَادُوا يَفْعَلُونَ क़ाला इन्नहू यकूलो इन्नहा बकारतुल ला ज़लूलो तोसीरुल अरजा वला तस्क़ी अलहरसा मुसल्लमतुन ला शीयता फ़ीहा क़ालू अलआना जेयता बिल हक्के फ़ज़बाहूहा वमा कादू यफअलून (बकरा 71)
अनुवाद: (मूसा) ने कहा, अल्लाह कहता है कि वह एक ऐसी गाय है जिसे सुधारा नहीं गया है। न जमीन की जुताई करते हैं और न ही फसलों को पानी देते हैं। वह स्वस्थ और निष्कलंक है (और ऐसा एक समान रंग है कि) उसमें कोई दोष नहीं है।
📕 कुराआन की तफसीर 📕
1️⃣ उस गाय की एक विशेषता जिसे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की कौम को जिबहा करने का हुक्म दिया था, वह यह थी कि वह हल जोतने के काम में नहीं आती थी, न ही उसे सिंचाई के काम में लाया जाता था।
2️⃣ जिस गाय को हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने जिब्ह करने का हुक्म दिया हो वह तंदुरुस्त, बेदाग हो, उसकी खाल में कोई नुकीला हिस्सा न हो और उसके रंग और बदन पर कोई निशान न हो।
3️⃣ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की कौम के लोगों ने आख़िरी निशानियों (उन्होंने हल जोतना वगैरह नहीं किया था) को यक़ीन का स्रोत और मानसिक चिंता दूर करने वाला माना।
4️⃣ हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की कौम के लोग हल जोतने और सिंचाई के लिए गायों का इस्तेमाल करते थे।
5️⃣ हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की कौम के लोगों ने हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर आरोप लगाया कि उन्होंने गाय के वध के लिए वर्णित प्रारंभिक विशेषताओं को अपर्याप्त रूप से जानते हुए सच नहीं बताया।
6️⃣ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम गाय को ढूंढ़ने के बाद जिब्हा करने को तैयार नहीं थी।
7️⃣ हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की कौम के लोगों ने मनमाना सवाल और जबरन शरिया (हत्या के रहस्य को सुलझाने के लिए गाय को मारना) के काम को अपने लिए मुश्किल बना लिया।
8️⃣ शरिया के नियमों और दायित्वों के बारे में आने वाले आवेदन और सामान्यताएं हुज्जत हैं।
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📚 तफसीर राहनुमा, सूरा ए बकरा
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