۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
इमामबाडा

हौज़ा/पहली मोहर्रम को ऐतिहासिक आसिफी इमामबाड़े से जरीह का जुलूस शाही शानो शौकत के साथ निकाला गया जुलूस में हजारों लोगों ने शिकरत कर हज़रत इमाम हुसैन सहित कर्बला के 72 शहीदों को अकीदत के साथ पुरसा पेश किया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ,पहली मोहर्रम को ऐतिहासिक आसिफी इमामबाड़े से जरीह का जुलूस शाही शानो शौकत के साथ निकाला गया जुलूस में हजारों लोगों ने शिकरत कर हज़रत इमाम हुसैन सहित कर्बला के 72 शहीदों को अकीदत के साथ पुरसा पेश किया गया।

इस दौरान हर कोई काला लिबास पहने मातम मना रहा था जुलूस से पूर्व इमामबाड़ा परिसर में मजलिस किया गया इस दौरान बताया गया कि हजरत इमाम हुसैन 28 रजब को मदीने से चल कर दो मोहर्रम को कर्बला पहुंचे थे, जहां यजीदी फौजों ने उन्हें तीन दिन भूखा-प्यासा शहीद कर दिया था। जुलूस के दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे,

मोहर्रम का पहला शाही मोम की जरीह का जुलूस बड़ा इमामबाड़ा से लेकर छोटा इमामबाड़ा तक निकाला गया। मजलिस से पहले सोजख्वानी पेश की गई शाही जरीह का जुलूस जैसे ही आसिफी इमामबाड़े से बाहर आया तो वहां मौजूद हजारों अजादारों ने उसे चूमना शुरू कर दिया और हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर रोने लगे।
जुलूस में 20 फुट की मोम जरीह और 15 फुट की अबरक की जरीह आकषर्ण का केन्द्र था। दोनों जरीह को हर कोई चूमने को बेताब था। जुलूस में हजारों की संख्या में महिलाएं पुरुष और बच्चे शरीक हुए और कर्बला के शहीदों की याद में जारों-कतार रोकर अपने गम का इजहार किया

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