۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
रहबर

हौज़ा/इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने कहा कि घायल और नष्ट हो चुकी कब्ज़े वाली सरकार, फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन द्वारा किए गए हमलों का गाजा के लोगों से बदला ले रही थी।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने कहा कि घायल होकर ज़मीन पर ढेर हो चुका क़ाबिज़ शासन, फ़िलिस्तीनी जियालों के घातक वार का बदला ग़ज़्ज़ा के अवाम से रहा हैंं

।लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि ज़ायोनियों के जुर्म को दुनिया के दुष्ट लोगों की तरफ़ से भरपूर सपोर्ट और इन जुर्मों में अमरीका की निश्चित भागीदारी के बावजूद, अंत में ज़ायोनियों को कुछ हासिल नहीं होगा, इस मामले में भी और आगे के मामलों में भी फ़िलिस्तीनी क़ौम की फ़तह पक्की है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ग़ज़्ज़ा में जारी वाक़यात को भविष्य तय करने वाले वाक़यात का नाम दिया और ग़ज़्ज़ा के अवाम की मज़लूमियत के साथ साथ बेमिसाल ताक़त की ओर इशारा करते हुए कहा कि ख़ूंख़ार व ज़ालिम दुश्मन बच्चों, औरतों, मर्दों, बूढ़ों और जवानों में कोई फ़र्क़ करने को तैयार नहीं है, ग़ज़्ज़ा के अवाम सही मानी में बहुत मज़लूम हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ग़ज़्ज़ा के मज़लूम अवाम के सब्र और अल्लाह पर उनके भरोसे की सराहना करते हुए उनके सब्र और दृढ़ता के कुछ नमूने बयान किए। उन्होंने कहा कि जो बाप अपने बच्चे की शहादत के बाद भी अल्लाह का शुक्र अदा करे, जो माँ बाप अपने शहीद बच्चे को फ़िलिस्तीन को समर्पित करें, वो नौजवान जो घायल हालत में क़ुरआन की तिलावत करे, इसी तरह दूसरे मंज़र, ग़ज़्ज़ा के अवाम के बेपनाह सब्र और अल्लाह पर भरोसे की एक झलक पेश करते हैं। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का कहना था कि ग़ज़्ज़ा के अवाम का सब्र व धैर्य बहुत अहम है जो फ़िलिस्तीनियों को झुकाने में दुश्मन की हार की निशानी है। उन्होंने बल दिया कि यही सब्र और अल्लाह पर भरोसा, ग़ज़्ज़ा के अवाम का मददगार बनेगा और आख़िर में वही विजयी होंगे।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने एक बार फिर यह बात दोहराई कि 7 अक्तूबर को क़ाबिज़ शासन पर पड़ने वाला वार निर्णायक था। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे वक़्त गुज़र रहा है यह सच्चाई ज़्यादा से ज़्यादा जगज़ाहिर होती जा रही है कि इस वार से ऐसा नुक़सान हुआ है जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अमरीका और दूसरे ज़ालिम व दुष्ट मुल्कों जैसे ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के राष्ट्राध्यक्षों के अतिग्रहित फ़िलिस्तीन के मुसलसल दौरों के क़ाबिज़ शासन के विनाश की प्रक्रिया को रोकने की नाकाम कोशिश बताया और कहा कि दुनिया के दुष्ट यह मंज़र देख रहे हैं कि फ़िलिस्तीनी जियालों के काम तमाम करने वाले वार के नतीजे में ज़ायोनी शासन बिखरने व मिट जाने की हालत में पहुंच गया है, इसीलिए इन दौरों, सहानुभूति, जुर्म का सिलसिला जारी रखने वाले संसाधनों जैसे बमों और दूसरे तरह हथियारों की सप्लाई के ज़रिए वो कोशिश में हैं कि ज़ख़्म खाकर ढेर हो जाने वाले शासन को किसी तरह पैरों पर खड़ा रख सकें।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस बिन्दु का भी ज़िक्र किया कि क़ाबिज़ शासन का फ़िलिस्तीनी जियालों पर बस नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी जियालों ने ऑप्रेशनल क्षमता, तैयारी,  जज़्बा और हौसला बरक़रार रखा है और इंशाअल्लाह आगे भी यही स्थिति जारी रहेगी और क़ाबिज़ शासन उनका मुक़ाबला न कर पाने की वजह से ग़ज़्ज़ा के निहत्थे अवाम से बदला ले रहा है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि जो भी ग़ज़्ज़ा के बारे में बात करे वो ग़ज़्ज़ा के अवाम के सब्र व दृढ़ता का ज़िक्र ज़रूर करे वरना ये इन अवाम के हक़ में नाइंसाफ़ी होगी।

उन्होंने आगे कहा कि अमरीका, मुजरिम ज़ायोनियों के अपराध में बराबर का सहाभागी है। उन्होंने बल देकर कहा कि अमरीकियों के हाथ कोहनियों तक ग़ज़्ज़ा के बच्चों, औरतों और दूसरे शहीदों के ख़ून में सने हुए हैं, बल्कि अमरीकी ही इन आपराधिक करतूतों को मैनेज कर रहे हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का कहना था कि अमरीका, यूरोप, इस्लामी मुल्क और दुनिया के दूसरे इलाक़ों के लोगों के दिल कांप उठे हैं, जो ज़ायोनी शासन के निरंतर जारी अपराधों पर उनका स्वाभाविक रिएक्शन है। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि यूरोप में आज़ादी और मानवाधिकार के दावे करने वालों ने फ़िलिस्तीनियों के सपोर्ट में प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है, लेकिन अवाम ऐसे फ़रमान को नज़रअंदाज़ करते हुए सड़कों पर निकल रहे और अपने ग़म व ग़ुस्से का इज़हार कर रहे हैं और कोई भी हो ज़ायोनियों की बर्बरता के ख़िलाफ़ अवाम के रिएक्शन पर रोक नहीं लगा सकता।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्लामी सरकारों को फ़िलिस्तीन के मसले में ध्यान और होशियारी से काम लेने का सुझाव दिया और कहा कि इस्लामी मुल्क और रानजैतिक प्रवक्ता पश्चिमी हल्क़ों की ओर से बनाए जाने वाले नैरेटिव के प्रभाव में न आएं और उनकी मूर्खतापूर्ण बातों को दोहराते हुए फ़िलिस्तीनियों के लिए आतंकवादी का लफ़्ज़ इस्तेमाल न करें।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई का कहना था कि अमरीकी तो फ़िलिस्तीनियों को, जो अपने घरों और ज़मीन की रक्षा कर रहे हैं, आतंकवादी कहते हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या क़ाबिज़ शासन जिसने फ़िलिस्तीनियों के घरों और वतन पर क़ब्ज़ा कर रखा है वह आतंकवादी है या वो लोग जो अपने घर और ज़मीन को वापस लेने के लिए लड़ रहे हैं?

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बल दिया कि यह बात सब सुन लें कि मौजूदा मामले में भी और आगे के मामलों में भी फ़िलिस्तीनी क़ौम की फ़तह होगी और भविष्य की दुनिया फ़िलिस्तीन की दुनिया होगी, ज़ायोनी शासन की नहीं।

उन्होंने अपने ख़ेताब में लोरिस्तान प्रांत के शहीदों पर सेमिनार के प्रबंधकों से सिफ़ारिश की कि पिछली नस्लों की क़ीमती विरासत को आज की नौजवान नस्ल में ट्रांसफ़र करने के लिए वैचारिक व व्यवहारिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शहीदों की क़द्रदानी के सेमिनारों का मक़सद होना चाहिए।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने यह बयान लोरिस्तान प्रांत के शहीदों पर सेमीनार के आयोजकों से आज तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में होने वाली अपनी मुलाक़ात में दिया।

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