۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी

हौज़ा / हज़रत अली अकबर (अ.स.) ने कम आयु मे कयामत तक आने वाली पीढ़ी को यह संदेश दिया है कि दिन में पाँच बार सजदे कर लेना ही इबादत नही, बल्कि माता-पिता विशेषकर पिता की आज्ञाकारिता का पालन करना भी इबादत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए दिल्ली में स्थित अहलेबैत (अ.स.) फाउंडेशन इंडिया के उपाध्यक्ष हुज्जतुल-इस्लाम मौलाना तकी ने पैगम्बर (स.अ.व.व.) के जाहेरी और बातिनी कमालात के आइनादार  हज़रत अली अकबर (अ.स.) के जन्म दिवस पर बधाई देते हुए कहा वर्तमान मे युवाओ को पिता का अनुसरण, आज्ञाकारिता और पिता से प्रेम का जज़्बा हजरत अली अकबर (अ.स.) से सीखने की ज़रूरत है।

उन्होंने बात जारी रखते हुए कहा कि हज़रत अली अकबर (अ.स.) ने कम आयु मे कयामत तक आने वाली पीढ़ी को यह संदेश दिया है कि दिन में पाँच बार सजदे कर लेना ही इबादत नही, बल्कि माता-पिता विशेषकर पिता की आज्ञाकारिता का पालन करना भी इबादत है।

मौलाना ने कहा कि इतिहास से पता चलता है कि इमाम हुसैन (अ.स.) के बेटे हज़रत अली अकबर (अ.स.) का धन्य जन्म मदीना शहर में 33 वी हिजरी की शाबान की 11 तारीख को हुआ और 10 मोहर्रम 61 हिजरी को शहादत हुई। आपके ज्ञान और साहित्य, क्षमता, गुणों और सिद्धियों की गवाही शत्रुओं ने भी दी है।

उन्होंने कहा कि बनी उमय्या कहते थे कि अगर बानी हाशिम में कोई है जो सरकार के लिए सबसे विनम्र व्यक्ति है, तो वह अली अकबर हैं, जिनके नाना रसूल खुदा दादा अली मुर्तजा हैं, बाबा जवानाने जन्नत के सरदार है। ऐसा कहा जाता है कि वह दिखने और आंतरिक व्यक्तित्व के मामले में पैगंबर (स.अ.व.व.) से बहुत मिलते-जुलते थे, इसीलिए उन्हें पैगंबर (स.अ.व.व.) की छवि (शबीह) भी कहा जाता था। और इमाम हुसैन जब भी पैगम्बर को देखने के लिए उत्सुक होते थे तो अली अकबर का चेहरा देखते थे।

प्रख्यात भारतीय मौलवी ने कहा कि उन्होंने मदीना से इराक तक की अपनी लंबी यात्रा के दौरान कभी भी अपने पिता से किसी भी स्थान पर अपनी राय पेश नहीं की। उन्होंने अपने पिता की हर आज्ञआ को एक निश्चित आदेश और अपने लिए मार्गदर्शक माना। अतः हमे भी अपने अंदर यह गुण पैदा करने चाहिए ताकि ​​कि दुश्मन देखकर चिल्ला उठे कि यह बानी हाशिम का अनुयायी और अली अकबर का प्रेमी है। हमें अपने माता-पिता की आज्ञाकारिता और अधीनता में कोई गलती नहीं करनी चाहिए ताकि अली अकबर (अ.स.) की आत्मा हमें श्रद्धांजलि दे और हमारे लिए दुआ कर सके। और हम माता पिता की आज्ञाकारिता और अनुसरण से लाभ उठा कर अपनी धार्मिक और दुनयावी उपलब्धियों का निर्धारण करें।

अंत में, यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि हमारी क़ौम के लोग जो अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और उनकी अवज्ञा करते हैं और उन्हें चोट पहुँचाते हैं, वो दुनिया में ही अपनी किस्मत खराब कर लेते हैं और यदि वे खुद को शिया और अहलेबैत का चाहने वाला मानते हैं। तो यह मात्र एक सपना है जिसकी कोई ताबीर नही है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी हिदी के सभी सदस्यो की ओर से अपने प्रिय पाठको को हजरत अली अकबर (अ.स.) के जन्म दिन की बधाई के साथ साथ शुभकामनाए पेश करते है।

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