۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024
नजमुल हसन हिंदी

हौज़ा/ पैशकश: दानिशनामा ए इस्लाम, इंटर नेशनल नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर दिल्ली

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, आयतुल्लाह नजमुल हसन साहब सन 1279 हिजरी मे अमरोहा की सरज़मीन पर पैदा हुए, आप के वालिद का नाम मौलाना अकबर हुसैन इबरत अमरोहवी था, आप की वालिदा फंदेड़ी सादात के एक दीनदार घराने से तअल्लुक़ रखती थीं ।

नजमुल हसन साहब को नजमुल मिल्लत, शमसुल ओलमा और हकीमुल ओलमा के अलक़ाब से याद किया जाता है ।

नजमुल मिल्लत साहब ने इब्तेदाई तालीम अमरोहा में हासिल की फिर लखनऊ के लिए आज़िमे सफ़र हुए और वहाँ रह कर तफ़सीर, फ़िक़्ह, उसूल और अदब में महारत हासिल की ।

आयतुल्लाह नजमुल हसन साहब जैययिद आलिम होने के साथ साथ अरबी के बेहतरीन शाएर भी थे और अरबी अशआर के जलसों मे शिरकत किया करते थे ।

शमसुल ओलमा साहब के असातेज़ा में मुफ़्ती मौहम्मद अब्बास शूस्तरी, मौलाना अबुल हसन इबने अलीशाह, अल्लामा अबुल हसन इबने बंदे हुसैन के असमाए गिरामी क़ाबिले ज़िक्र हैं ।

हकीमुल ओलमा के शागिर्दों में मुफ़्ती अहमद अली साहब, मुफ़्ती मौहम्मद अली साहब, आयतुल्लाह अली नक़ी नक़्क़न साहब, हाफ़िज़ किफ़ायत हुसैन साहब, मुफ़स्सिरे क़ुरआन मौलाना फ़रमान अली साहब, मौलाना अदील अख़्तर साहब और मौलाना मौहम्मद हारून साहब क़ाबिले ज़िक्र हैं ।

आयतुल्लाह नजमुल हसन साहब को इराक़ के ओलमा से इजाज़ए इजतेहाद हासिल थे जिन में से आयतुल्लाह सैयद मौहम्मद काज़िम तबातबाई, आयतुल्लाह शेख़ अब्बास काशिफ़ुलगिता और आयतुल्लाह इस्माईल सद्र के इजाज़े क़ाबिले ज़िक्र हैं ।

आयतुल्लाह नजमुल हसन साहब ने ओलमाए किराम को इजाज़े भी दिए जिन में से आयतुल्लाह शहाबुददीन मरअशी नजफ़ी, आयतुल्लाह अली नक़ी नक़्क़न साहब, मौलाना शेख़ मुज़फ़्फ़र अली ख़ान साहब और आयतुल्लाह सैयद मौहम्मद सादिक़ बेहरुल उलूम के असमा क़ाबिले ज़िक्र हैं ।

इजाज़ात की तफ़सील के लिए किताबे “इजाज़ाते ओलमाए हिंद” सफ़हा 240, सफ़हा 282 और सफ़हा 532 की तरफ़ रुजू किया जा सकता है जो दानिश नामा ए इस्लाम नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर दिल्ली में आमादा की गयी है ।

 शमसुल ओलमा के उस्ताद और खुस्रे मोहतरम “मुफ़्ती मौहम्मद अब्बास साहब क़िबला शुस्तरी” ने आप की इस्तेदाद और सलाहिय्यत के पेशे नज़र आप को जामिया नाज़िमिय्या लखनऊ का प्रिन्सिपल क़रार दिया ।

नजमुल मिल्लत साहब ने सन 1338 हिजरी मे वालिए मेहमूदाबाद की मदद से मदरसतुल वाएज़ीन की बुनयाद रखी ।

हकीमुल ओलमा के फ़तावा और जवाबात किताबे “शरीअतुल इस्लाम” में देखे जा सकते हैं जिस को आप के फ़रज़ंद ने मुरत्तब किया है ।

आयतुल्लाह नजमुल हसन रिज़वी ने 17 सफ़र सन 1357 हिजरी मे दाईए अजल को लब्बैक कहा, देखते ही देखते आप के इंतेक़ाल की ख़बर आम हो गई, लोगों का जममे ग़फ़ीर तशिए जनाज़ा में शरीक हुआ, गौमती नदी के साहिल पर ग़ुस्ल दिया गया और जामिया नाज़िमीय्या में सुपुर्दे ख़ाक किया गया ।

(माख़ूज़ अज़: नुजूमुल हिदाया, जिल्द 3, सफ़्हा 293, तहक़ीक़: मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी – मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी फंदेड़वी – दानिशनामा ए इस्लाम, नूर माइक्रो फ़िल्म, दिल्ली)

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