۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
राहत हुसैन रिज़वी गौपालपुरी

हौज़ा / पैशकश: दानिशनामा ए इस्लाम, इंटर नेशनल नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर दिल्ली

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,  आयतुल्लाह सैयद राहत हुसैन रिज़वी साहब सन 1297 हिजरी में गौपालपुर ज़िला सीवान सूबा बिहार में पैदा हुए, आप के वालिदे मोहतरम का नाम “जनाब सैयद ज़ाहिर हुसैन रिज़वी” था ।

शेख़ आग़ा बुजुर्ग तेहरानी ने आप को आलिमे जलीलुल क़द्र और फ़क़ीहे कामिल कह कर याद किया है, मज़ीद मालूमात के लिए किताबे “अज़-ज़रीआ” जिल्द 3 सफ़हा 438 की तरफ़ रुजू किया जा सकता है ।

सरज़मीने गौपालपुर हमेशा ओलमा के वुजूद से आबाद रही है, इस सरज़मीन के मशहूर ओलमा में आयतुल्लाह राहत हुसैन गौपालपुरी का नाम सरे फ़ेहरिस्त है ।

मौसूफ़ ने इब्तेदाई तालीम जनाब सख़ावत हुसैन साहब और मौलाना अमीर हसनैन साहब से हासिल की । उसके बाद मौज़ा खुजवा ज़िला सारन और मुज़फ़्फ़रपुर में अरबी की इब्तेदाई किताबें मौलाना सैयद हसन साहब क़िबला और मौलाना सैयद आबिद हुसैन साहब क़िबला वगेरा से पढ़ीं ।

सन 1319 हिजरी में लखनऊ का सफ़र किया और मदरसा ए सुलतानुल मदारिस में रह कर मुजर्रब असातेज़ा मसलन : मौलाना सैयद मौहम्मद महदी साहब(साहिबे किताबे लवाएजुल एहज़ान), ज़हूरुल मिल्लत मौलाना सैयद ज़हूर हुसैन बारहवी साहब, मौलाना सैयद हसन बा ख़ुदा साहब, बाक़िरुल उलूम आयतुल्लाह मौहम्मद बाक़िर रिज़वी लखनवी साहब(साहिबे किताबे इसदाउर रेग़ाब) और मौलाना सैयद आबिद हुसैन साहब वगेरा से कस्बे फ़ैज़ किया ।

अल्लामा की सलाहिय्यत को देखते हुए उन्हें मदरसए सुल्तानिया में उस्ताद की हैसियत से मुंतख़ब कर लिया गया था लेकिन आप ने मदरसे को तर्क किया और सन 1324 हिजरी में नजफ़े अशरफ़ रवाना हुए और वहाँ के नामी गिरामी फ़ोक़हा के सामने ज़ानूए अदब तेह किए , उन फ़ोक़हा में आयतुल्लाह सैयद अबुल हसन इसफ़हानी , आयतुल्लाह सैयद हुसैन रशती, आयतुल्लाह मौहम्मद अली रशती, आयतुल्लाह हुसैन इबने महमूद क़ुम्मी, आयतुल्लाह इब्राहीम अरदबेली, आयतुल्लाह सैयद मौहम्मद काज़िम तबातबाई यज़दी(साहिबे किताबे उर्वतुल वुस्क़ा), आयतुल्लाह मौहम्मद काज़िम ख़ुरासानी और शेख़ुश शरीआ आयतुल्लाह फ़तहुल्लाह इसफ़हानी के असमाए गिरामी क़ाबिले ज़िक्र हैं ।

अल्लामा राहत हुसैन साहब सन 1334 हिजरी में अक्सर फ़ोक़हा से इजाज़ए इजतेहाद लेकर नजफ़े अशरफ़ से हिंदुस्तान वापस आए ।

मौसूफ़ मुसल्लमुस सुबूत मुज्तहिद थे , आप के विकिपीडिया के मुताबिक़ आप की तौज़ीहुल मसएल “तौशा ए आख़िरत” के नाम से देखी गई जिस को उस्ताद मौलाना सैयद रसूल अहमद रिज़वी साहब क़िबला गौपालपुरी ने मुरत्तब किया था ।

राहत हुसैन साहब लखनऊ में मदरसतुल वाएज़ीन की मुदीरियत के फ़राएज़ अंजाम देने के साथ साथ तसनीफ़ो तलीफ़ में भी मसरुफ़ रहे ।

आप ने आने वाली नस्लों के लिए बहुत सी अहम किताबें तालीफ़ कीं, जिन में से तफ़सीरे अनवारुल क़ुरआन, अल-इंतेसार, गिना और इस्लाम, नमाज़ में हाथ बांधने का हुक्म, सबीलुल हुदा(इल्म और ओलमा की फ़ज़ीलत में), मुख़तसरुल क़वाएद(इलमे नहव), रफ़उलइल्तेबास अन ज़ियारतिन नाहीया, क़ातेउल लुज्जाज फ़ी मीरासिल अज़वाज और मुर्शिदे उम्मत के असमा क़ाबिले ज़िक्र हैं ।

अल्लाह ने मौसूफ़ को तीन फ़रज़ंद अता किए जिन को अपने वक़्त के बड़े ओलमा में शुमार किया गया , उन के असमाए गिरामी इस तरह हैं: आयतुल्लाह सैयद मौहम्मद साहब , आयतुल्लाह सैयद अली साहब(साहिबे किताबे तफ़सीरे रुमुज़ुत तंज़ील वल फिर्क़तिन नाजिया) और हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन सैयद मोहसिन साहब प्रिन्सिपल मदरसतुल वाएज़ीन ।

अल्लामा अपनी सलाहिय्यत की वजह से इराक़ में मौजूद हिंदुस्तान और पाकिस्तान से आए हुए तुल्लाब के दरमियान मुमताज़ शख़सियत के हामिल रहे ।

राहत हुसैन साहब मनतिक़, कलाम, फ़लसफ़ा, अदब, हेयत, तफ़सीर, हदीस, तिब, दिरायत, रिजाल, फ़िक़्ह और उसूल में पूरी तरह महारत रखते थे ।

अल्लामा राहत हुसैन साहब उम्र के आख़री हिस्से में अपने वतन गौपालपुर वापस आ गए और सन 1376 हिजरी में दारे फ़ानी से दारे बक़ा की तरफ़ कूच कर गए नीज़ गौपालपुर में मौजूद अपने आबाई क़बरुस्तान में सुपुर्दे लहद किए गए ।

(माख़ूज़ अज़: नुजूमुल हिदाया, जिल्द 2, सफ़्हा 75, तहक़ीक़: मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी – मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी फंदेड़वी – दानिशनामा ए इस्लाम, नूर माइक्रो फ़िल्म, दिल्ली)             

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